Thursday 3 November 2011

घाव जो देते वही उपचार की बातें करें

तीर खंजर की न अब तलवार की बातें करें
जिन्दगी में आइये बस प्यार की बातें करें


टूटते रिश्तों के कारण जो बिखरता जा रहा
अब बचाने को उसी घर -बार की बातें करें


थक चुके हैं हम बढ़ा कर यार दिल की दूरियाँ
छोड़ कर तकरार अब मनुहार की बातें करें


दौड़ते फिरते रहें पर ये ज़रुरी है कभी
बैठ कर कुछ गीत की झंकार की बातें करें


तितलियों की बात हो या फिर गुलों की बात हो
क्या जरूरी है कि हरदम खार की बातें करें


कोई समझा ही नहीं फितरत यहाँ इन्सान की
घाव जो देते वही उपचार की बातें करें


काश 'नीरज' हो हमारा भी जिगर इतना बड़ा
जेब खाली हो मगर सत्कार की बातें करें


रचनाकार ----- नीरज गोस्वामी

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