अंत में मैं ही हँसूंगा
सर्वप्रथम मैं ही रहूंगा
अन्तिम होने पर भी
राख की ढेरी होते हुए भी
ज्वालामुखी-सा धधकूंगा
काफ़्का का किला होकर भी
खुले हुए आँगन की तरह
खुला रहूँगा
गिलहरियोंके लिए
उनकी चंचलता
चिडियों के लिए
उनकी प्रसन्नता
चींटियों के लिए
उनका अन्न
नदियों के लिए
उनका जल
उदास मनुष्यों की उदास दुनिया के लिए
उसका स्वप्न
लेकर जल्दी ही आऊँगा
अंत में मैं ही हँसूंगा
सर्वप्रथम मैं ही रहूंगा
अन्तिम होने पर भी
राख की ढेरी होते हुए भी
ज्वालामुखी-सा धधकूंगा
काफ़्का का किला होकर भी
खुले हुए आँगन की तरह
खुला रहूँगा
गिलहरियोंके लिए
उनकी चंचलता
चिडियों के लिए
उनकी प्रसन्नता
चींटियों के लिए
उनका अन्न
नदियों के लिए
उनका जल
उदास मनुष्यों की उदास दुनिया के लिए
उसका स्वप्न
लेकर जल्दी ही आऊँगा
अंत में मैं ही हँसूंगा
आग्नेय
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